झारखंड में विपक्षी एकजुटता का दंभ भर रहे दलों में अंदरुनी खींचतान चरम पर है। यही वजह है कि लगभग दो माह पहले तालमेल पर सैद्धांतिक सहमति के बावजूद अंतिम सहमति नहीं बन पाई है। शुरूआत से जिन सीटों पर विवाद की स्थिति थी उसका भी समाधान विपक्ष दलों के नेता नहीं निकाल पाए हैं। इस बीच कांग्र्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की रैली भी रांची में हुई लेकिन इसमें कोई ठोस बात सीटों के तालमेल पर नहीं हुई।
जाहिर है कि इसकी वजह राहुल गांधी की चुनावों को लेकर व्यस्तता है। यही कारण है कि अब कांग्र्रेस पर प्रेशर बनाने के लिए क्षेत्रीय दल एकजुट हो रहे हैं। सोमवार को झारखंड विकास मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन और झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की मुलाकात भी इसी प्रेशर पॉलिटिक्स की कड़ी है। दोनों दल मिलकर कांग्र्रेस पर यह दवाब बना रहे हैं कि सीटों को लेकर हुआ समझौता धरातल पर उतरे और प्रत्याशियों का एलान भी कर दिया जाए।
दरअसल कांग्र्रेस इसमें अभी वक्त चाहती है। हालांकि पार्टी के नेता दावा कर रहे हैं कि एक सप्ताह के भीतर सभी सीटों पर प्रत्याशियों का एलान कर दिया जाएगा लेकिन ऐसी संभावना नहीं दिखती। जबकि झामुमो और झाविमो को जल्दबाजी इस स्तर पर है कि पार्टी को सीमित संसाधनों और चुनिंदा स्टार प्रचारकों के बूते चुनाव मैदान में कूदना है।
प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दल की भारी-भरकम तैयारी से जूझना भी एक बड़ी चुनौती है। इसके अलावा सीटें फाइनल होने के बाद होने वाली उथलपुथल से भी दो-चार होना है। ऐसी परिस्थिति में झामुमो और झाविमो का शीर्ष नेतृत्व चाहता है कि जल्द से जल्द प्रत्याशियों और सीटों के नाम फाइनल हो जाएं ताकि मुकम्मल तैयारी के साथ चुनाव मैदान में उतरा जाए।
किसको कितनी सीटें
कांग्र्रेस – 07 (रांची, खूंटी, लोहरदगा, हजारीबाग, पलामू, धनबाद, सिंहभूम)
झामुमो – 04 (राजमहल, दुमका, गिरिडीह, जमशेदपुर)
झाविमो – 02 (कोडरमा, गोड्डा)
राजद – 01 (चतरा)